सिरसा से भाजपा की टिकट पर उतरना चाहते मैदान में, वी कामराजा नाम नहीं है किसी परिचय का मौहताज
सिरसा, 17 । ड्यूटी के प्रति कृतज्ञ व अपनी खास कार्यप्रणाली से पहचान बनाने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी वी कामराजा के सिरसा लोकसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लडऩे के ऐलान करने के बाद राजनीतिक दलों में खलबली मच गई है।
हालांकि पहले भाजपा की ओर से उन्हें टिकट देने की चर्चाएं भी जोरों पर थी और वे कई माह तक सिरसा में रह कर लोगों के बीच भी जा रहे थे। लेकिन अचानक अशोक तंवर की भाजपा में एंट्री हुई और भाजपा ने वी कामराजा की बजाय डॉ. अशोक तंवर को मैदान में उतार दिया।
वी कामराजा के निर्दलीय चुनाव लडऩे के ऐलान के बाद जीत का दावा ठोकने वाले उम्मीदवारों के माथे पर चिंता की लकीरें भी खिंचने लगी है। वी कामराजा के समर्थक व सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश सैनी ने कहा कि सिरसा की जनता ने पहले भी वी कामराजा को बहुत प्यार दिया था और अब भी सिरसा लोकसभा की जनता का ही फैसला है कि वी कामराजा यहां से चुनाव लड़ें और आमजन की आवाज को बुलंद करें।
जनता के स्नेह व भावनाओं की कदर करते हुए ही वी कामराजा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लडऩे का फैसला लिया है। सैनी ने कहा कि सिरसा लोकसभा सीट पर सर्वसमाज के आह्वान पर ही उन्होंने चुनाव लडऩे का मन बनाया है। बेशक भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर वी कामराजा ने चुनाव लडऩे की घोषणा कर निराश हो चुके जनमानस में जोश भरने का काम किया है।
सैनी ने कहा कि दल-बदलू नेताओं की राजनीति से जनता पहले ही बुरी तरह से आहत है, ऐसे में जरूरत है एक ऐसे व्यक्तित्व की जो जनता की आवाज को संसद में जोर-शोर से उठा सके। जनता के बीच रहकर उनकी समस्याओं को नजदीक से महसूस कर सके। उन्होंने कहा कि जनता का सहयोग ही वी कामराजा की सबसे बड़ी ताकत है ।
बता दें कि आतंकवाद के दौर के दौरान जब लोग भय के साये में जी रहे थे तब वी कामराजा ने सिरसा में बतौर पुलिस अधिक्षक रहते हुए इस प्रकार कार्य किया कि लोगों को भय के माहौल से बाहर निकाला था। उस वक्त जब वी कामराजा का सिरसा से तबादला हुआ था तब तीन दिन तक शहर बंद रहा था। बच्चे-बच्चे की जुबान पर वी कामराजा का नाम आज भी वैसे ही चढ़ा हुआ है। उनकी कार्यप्रणाली का ही नतीजा है कि उनको लोगों ने आज तक नहीं भुलाया।