सिरसा। आठ अक्टूबर को हरियाणा विधानसभा के मतों की गणना हुई। चुनाव जीतने के बाद विधायकों में उत्साह दिख रहा है। इसी कड़ी में 10 और 11 अक्टूबर को काफी विधायकों ने मंडियों में जाकर फसलों की खरीद का जायजा लिया और
अधिकारियों को निर्देश दिए कि खरीद के दौरान किसी को भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं होनी चाहिए। इसी प्रकार कई विधायकों ने सरकारी कार्यालयों में जाकर लोगों की समस्याओं को उठाया और आगे से इस प्रकार समस्याएं न आएं ऐसे
अधिकारियों को निर्देश दिए। विधायकों की शुरुआती पारी काबिले तारीफ है। अच्छी बात है। इसी लिए जनता ने उन्हें अपने प्रतिनिधि के तौर पर चुना है। पर क्या यह सिलसिला लगातार पांच चल पाएगा?
जनता की उम्मीदों के अनुरूप निरंतर काम होंगे तब जनता को राहत मिलेगी। पांच-दस दिन ऐसी सक्रियता दिखाकर बाद में फिर उसी पुराने सिस्टम में ढल जाएंगे तो विधायकों से लोगों को आशा की बजाय निराशा होनी स्वाभाविक है। फिलहाल जनता
उम्मीद करती है कि हमारे विधायक ऐसे ही एक्टिव रहें। ताकि अधिकारियों में खौफ बना रहे और लोगों की सुनवाई हो। पर अब तक ऐसा होता नहीं रहा है। मंत्री पानी की टंकियों पर चढ़ कर व सरकारी व्यवस्थाओं का निरीक्षण कई बार ऐसे ही
सरकार बनने के तुरंत बाद देखे गए हैं। पर बाद में वही नेता उसी पुराने ढर्रे में फिट होते गए। ऐसा इस बार होगा या नहीं यह तो आने वाला वक्त बताएगा । सिरसा की बात करें तो यहां से नवनिर्वाचित युवा विधायक गोकुल सेतिया ने चुनाव जीतने के
अगले दिन ही एक नंबर जारी किया और सोशल मीडिया के तहत संदेश दिया कि किसी को भी शहरी क्षेत्र में पेयजल से संबंधित समस्या हो तो इस नंबर पर कॉल करें। दो दिन तक जितनी कॉल आई उनको लेकर वे स्वयं जन स्वास्थ्य विभाग के
अधिकारियों के पास गए और समस्याओं के निष्पादन के लिए निर्देश दिए। इसी प्रकार इंतकाल से संबंधित पटवारी द्वारा रिश्वत लेने के बावजूद काम न करने पर गोकुल सेतिया ने तहसीलदार को कॉल करके कहा कि पीड़ित का काम होना चाहिए और
आगे से ऐसा नहीं होना चाहिए वरना वे इस मसले को विधानसभा में उठाएंगे। अगर विधायक इसी प्रकार एक्टिव रहे तो लोगों को उस प्रकार की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा जो पिछले लंबे से समय से झेल रहे हैं।