धरनारत किसानों के लिए दूध की सेवा जारी

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पैंतालिसा क्षेत्र के गांव शक्कर मंदोरी की लंगर कमेटी ने खनौरी बॉर्डर हेतु भेजी दूध की सेवा

सिरसा, 13 जुलाई। किसान आंदोलन-2 धरनारत किसानों के लिए सिरसा से हर शनिवार दूध की सेवा निरंतर जारी है। भारतीय किसान एकता बीकेई के प्रदेशाध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने बताया कि किसानों की मानी हुई मांगों को लागू करवाने के लिए 13 फरवरी से धरने पर हैं।

खनोरी, शंभू, डबवाली, रतनपुर (संगरिया) बॉर्डर चार जगहों पर किसानों का धरना चल रहा है। शनिवार को धरना 152 वें दिन में प्रवेश कर गया है ।

किसानों के लिए लंगर व दूध की सेवाएं निरंतर चल रही हैं। हर शनिवार को भारतीय किसान एकता बीकेई द्वारा गांवों के सहयोग सिरसा से दूध की सेवा खनौरी बॉर्डर पर हर शनिवार निरंतर भेजी जा रही है।

इसी कड़ी में शनिवार को किसान पूर्ण चंद उर्फ बलराम सहारण, विनोद, दलीप सहारण, अभिमन्यु सहारण, भरत सिंह सहारण, मनीष कासनिया, मोहन लाल सहारण, प्रदीप कासनियां, पूर्ण नायक, धर्मवीर साहु, संदीप कासनियां, महावीर कांटेवाल, जगदीश चंद्र, बलवान बैनीवाल, संदीप सहारण व तमाम लंगर कमेटी शक्कर मंदोरी की तरफ से दूध की सेवा खनौरी बॉर्डर पर भेजी गई।
औलख ने कहा कि शक्कर मंदोरी गांव की लंगर कमेटी का किसान आंदोलन-1 जो दिल्ली के बॉर्डर पर 378 दिन चला, उसमें भी बड़ा योगदान रहा है टिकरी बॉर्डर पर किन्नूओं के जूस का एकमात्र लंगर इसी गांव की लंगर कमेटी ने लगाया हुआ था।

बलराम सहारण व पूरी लंगर कमेटी किसान, मजदूर की आवाज के लिए हर वक्त संघर्ष के लिए तैयार रहते हैं। तीनों काले कानून रद्द करवाने तक यह लंगर कमेटी 378 दिनों तक टिकरी बॉर्डर पर डटी रही।

लंगर कमेटी की ओर से बलराम सहारण किसान, मजदूर के संघर्ष में लखीमपुर खीरी, मुजफ्फर नगर, पिपली सहित सभी जगह पहुंचे हैं।

खनोरी बॉर्डर से ब्यान जारी करते हुए औलख ने कहा कि उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाई है और रास्ते खोलने के आदेश दिए, जिस पर संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक व किसान मजदूर मोर्चा कल 14 जुलाई को दोनों मोर्चों की मीटिंग खनोरी बॉर्डर पर रखी गई है।

औलख ने कहा कि किसानों ने मोर्चे पर खड़े ट्रैक्टर-ट्रालियों का तेल पानी चेक करना शुरू कर दिया है। किसानों ने ट्रालियों के तिरपाल भी बदलने शुरू कर दिए।

किसान दिल्ली कूच के लिए तैयार हैं, रास्ते खुलते ही दोनों मोर्चों का ऐलान आते ही किसान दिल्ली की ओर बढ़ेंगे।

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