विधायक देवेंद्र बबली के हलके में विरोध से उनके राजनैतिक कैरियर पर लग सकता ग्रहण

राजनैतिक | Khabrain Hindustan | विधायक देवेंद्र बबली | कैरियर |

टोहाना। टोहाना के वर्तमान विधायक देवेंद्र सिंह बबली ने गत विधानसभा चुनाव जननायक जनता पार्टी से लड़ा था तथा टोहाना के उस समय के टोहाना से भाजपा विधायक व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला को लगभग पचास हजार मतों से पराजित कर विजयी हुए थे।

हालांकि देवेंद्र सिंह बबली का यह दूसरा विधानसभा चुनाव था। इससे पहले बबली अपना पहला विधानसभा चुनाव बुरी तरह से हार गए थे और अब अगर ये आगामी विधानसभा चुनावों में कूदने का मन बनाते हैं

तो यह उनका तीसरा विधानसभा चुनाव होगा परंतु तीसरी बार इनके विधानसभा के चुनावी मैदान में कूदना इतना आसान नहीं है जितना अब वे समझ रहे हैं। वजह एक नहीं अनेक हैं ।

जो देवेंद्र सिंह बबली के आगामी विधानसभा चुनावों में चुनाव लडऩे में बाधा बनकर उनके तीसरी बार विधायक बनने के उनके सपने पर ग्रहण लगा रही है।

सुभाष बराला को 2019 के विधानसभा चुनावों में जब बबली ने भाजपा के प्रत्याशी सुभाष बराला को हराकर जीत हासिल की थी उस समय बबली की जेजेपी से हुई थी, बबली की वह जीत न तो बबली की थी और न ही जेजेपी की ।

सही आंकलन करें तो वह जीत सुभाष बराला के प्रति जनता का भारी आक्रोश था। सुभाष बराला का जनता से सीधा संपर्क कट गया था। जिससे स्थानीय लोगों को लगा सुभाष बराला को घमंड हो गया।

बस यहीं से जनता का उनके प्रति विरोध बढ़ता गया। जिसे विधानसभा चुनावों में अपनी जीत समझ लिया। चलो देखें तो पाएंगे कि अधिकारिक तौर पर देवेंद्र सिंह बबली की ही जीत अंकित हुई मानी जाएगी।

समय का चक्र चला और जेजेपी उक्त भाजपा सरकार में सहयोगी पार्टी बनी जिसमें बबली को कुछ दिनों बाद केबिनेट मंत्री पद से नवाजा गया और महकमा मिला पंचायत विकास विभाग ।

भाजपा ने या कहें जेजेपी सुप्रीमों दुष्यंत चौटाला ने बबली पंचायत विभाग देकर एक तीर से दो शिकार कर लिए। क्यों कि कुछ दिनों पूर्व भाजपा की सरकार ने हरियाणा प्रदेश के सभी नवनिर्वाचित सरपंचों के अधिकार सिमित कर उनको न बराबर पावर दी जो सरपंचों को मंजूर नहीं थी।

साढ़े चार साल तक सरपंचों का संघर्ष जारी रहा और सरपंचों ने राजनैतिक दुश्मनी गांठ ली बबली से। एक दुर्भाग्य बबली का यह भी रहा की सरपंच ऐसोसिएशन का प्रधान रणबीर सिंह गिल भी बबली के ही हलके का रहा ।

रणबीर सिंह गिल समैण की पकड़ हलके के सरपंचों के साथ साथ पूरे प्रदेश के सरपंचों पर रही है। उधर बबली के भाईयों ने भी बबली के राजनैतिक सफर को अस्त व्यस्त कर विवादित बनाने में रोल अदा किया।

कुछ दिनों बाद भाजपा ने जेजेपी को साईड कर दिया। बस तभी से बबली का राजनैतिक सफर एक बिना इंजन की गाड़ी की तरह से हो गया।

हलके में सरपंचों ने यह घोषणा कर रखी है कि बबली चाहे किसी भी पार्टी से आए हलके में भारी विरोध होगा। शहर में व्यापारी वर्ग खफा, दलित की घोर अनदेखी बबली की तीसरी बार विधायक बनने में रोडा बनेगी।

अब हालात ये हैं कि इनको हर पार्टी टिकट देने से डर रही है क्योंकि कि जिस भी पार्टी ने बबली को टिकट दी तो सरपंच यूनियन, व्यापारीगण, दलित वर्ग उसी पार्टी से पल्ला झाड़ लेगी,

अब अगर निर्दलीय भी चुनावों में आते तो हल्के की जनता व दलित वर्ग दो दो हाथ करने को तैयार बैठे हैं ऐसी खबरें आ रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *