सिरसा, 4 जून। बीजेपी के प्रत्याशी डॉ. अशोक तंवर की हार की हैट्रिक लग गई है। वे कांग्रेस की टिकट पर 2009 में सिरसा लोकसभा से चुनाव जीते थे।
उसके बाद 2014 में वे इनेलो के चरणजीत सिंह चन्नी से चुनाव हार गए। इसी प्रकार 2019 के चुनावों में भी कांग्रेस ने डॉ. अशोक तंवर को सिरसा से मैदान में उतारा पर वे बीजेपी की प्रत्याशी सुनीता दुग्गल से चुनाव हार गए।
उसके बाद डॉ. अशोक तंवर ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया और अपनी पार्टी बनाने के अलावा दो अन्य पार्टियों में भी रहे। पर अब चुनाव से ठीक पहले उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया और बीजेपी ने उन्हें सिरसा से अपना प्रत्याशी बनाया।
अब वे कांग्रेस की कुमारी सैलजा से चुनाव हारने के बाद लगातार तीन चुनाव हार चुके है। उनकी हार के पिछ किसानों का बीजेपी के प्रति रोष रहा। और भी कारण रहे पर किसानों का विरोध खुल कर होता रहा।
सिरसा में किसान आंदोलन का अच्छा असर रहा। किसानों का कहना था कि बीजेपी ने उनके साथ वादाखिलाफी की है और किसानों पर अत्याचार किए है इस लिए किसान बीजेपी के प्रत्याशी को हरा सकने वाले प्रत्याशी की मदद करेंगे। नतीजा भी उसी अनुसार देखने में आया है।