डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा को तोड़े जाने के खिलाफ दलित समुदाय का जोरदार विरोध, जालंधर-लुधियाना हाईवे जाम

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डॉ. बी.आर. अंबेडकर की प्रतिमा तोड़े जाने पर राज्यभर में प्रदर्शन और राजनीतिक उथल-पुथल

मुख्य बिंदु:

  • जालंधर-लुधियाना हाईवे पर दलित समुदाय का प्रदर्शन
  • अमृतसर में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा का अपमान, राज्यभर में विरोध
  • राज्यव्यापी बंद का असर, लुधियाना की प्रमुख बाजारें बंद
  • हाईवे पर यातायात जाम, लंबी वाहनों की कतारें

जालंधर/लुधियाना: पंजाब के अमृतसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा तोड़े जाने के बाद दलित समुदाय के लोगों ने मंगलवार को जालंधर-लुधियाना राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया।

इस घटना ने पूरे राज्य में उथल-पुथल मचा दी और राजनीतिक हलकों में भी घमासान मच गया।

अमृतसर में अंबेडकर की प्रतिमा का तोड़ा जाना

अमृतसर में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा को तोड़े जाने से दलित समुदाय के बीच गहरा आक्रोश फैल गया। प्रतिमा को तोड़े जाने की घटना ने राज्यभर में व्यापक विरोध को जन्म दिया।

दलित नेताओं ने इसे समाज की भावनाओं के खिलाफ कदम बताया और इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।

जालंधर-लुधियाना हाईवे पर प्रदर्शन

अमृतसर में घटित घटना के विरोध में दलित समुदाय ने जालंधर-लुधियाना राष्ट्रीय हाईवे पर प्रदर्शन किया। बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए और सड़क पर बैठकर विरोध जताया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जब तक दोषियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा।

राज्यव्यापी बंद का असर

राज्यभर में इस घटना के विरोध में बंद का आह्वान किया गया था। लुधियाना में भी इसका असर साफ नजर आया।

शहर के प्रमुख बाजार जैसे चौरा बाजार, भदौर हाउस, रेलवे रोड, माता रानी चौक और घड़ी चौक समेत कई इलाके बंद रहे। दुकानदारों और व्यापारियों ने इस बंद में सहयोग किया, जिससे बाजारों में सन्नाटा छा गया।

वाहन यातायात में रुकावट और जाम

जालंधर-लुधियाना हाईवे पर हुए इस प्रदर्शन के कारण यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ। सड़क पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं और कई घंटों तक यात्री फंसे रहे।

यातायात व्यवस्था को सामान्य करने के लिए पुलिस ने प्रयास किए, लेकिन प्रदर्शनकारियों के विरोध को देखते हुए स्थिति पूरी तरह नियंत्रण से बाहर हो गई थी।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और विरोध की तीव्रता

राज्य में चल रहे इस विरोध को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों ने प्रतिक्रिया दी है। आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस दोनों ने इस घटना की निंदा की और राज्य सरकार से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसे ‘राजनीतिक साजिश’ करार दिया और मामले में निष्पक्ष जांच की बात की।

मामले की जाँच और पुलिस का बयान

पंजाब पुलिस ने डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा तोड़े जाने की घटना की जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि फिलहाल कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन आरोपियों को जल्द पकड़ लिया जाएगा।

इस घटना के बाद पुलिस ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में सुरक्षा बढ़ा दी है और यह सुनिश्चित किया है कि कहीं और ऐसी घटनाएँ न घटें।

समाज में फैलता आक्रोश

इस घटना ने समाज के विभिन्न वर्गों में आक्रोश उत्पन्न किया है। खासकर दलित समुदाय ने इसे अपने सम्मान पर चोट बताया और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की। कई संगठनों और दलित नेताओं ने इस घटना के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन करने की योजना बनाई है।

निष्कर्ष

डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा तोड़े जाने की घटना ने एक बार फिर समाज में विभाजन की स्थिति को उजागर किया है। जबकि पंजाब सरकार इस मामले की जांच करने का दावा कर रही है,

यह सवाल उठता है कि क्या इस तरह की घटनाएँ समाज में सामूहिक सौहार्द को नुकसान पहुँचाने का काम नहीं कर रही हैं? प्रदेश सरकार को अब इस मुद्दे पर गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि दलित समुदाय की भावनाओं का सम्मान हो सके और इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।


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