डगमगाने लगा है टिकटार्थियों का हौसला
नामांकन के दिन हर रोज कम हो रहे है, मगर पार्टी अंतिम निर्णय ही नहीं ले पा रही। कांग्रेस टिकट के चाहवान नेताओं की सांसे अटकी हुई है, कल तक जो उछल कूद कर रहे थे, अब उनके भी हौसले डगमगाने लगे है।
रानियां हलके से कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा दस सितंबर से पहले होती नजर नहीं आती। जबकि नामांकन भरने की अंतिम तिथि 12 सितंबर है।
दिल्ली में डेरा जमाए बैठे टिकट चाहवानों की उम्मीदें भी दम तोड़ रहीं है। टिकट पक्की का सजगबाग दिखाए रखना अब मुश्किल पड़ रहा है।
सिरसा से गोकुल सेतिया और ऐलनाबाद से भरत सिंह बेनिवाल के नाम तो लगभग फाइनल बताए जाते हैं, मगर रानियां के लिए पेंच फसा हुआ है। हालांकि जब तक लिस्ट नहीं आती कुछ भी मानना बेमानी होगा।
कई बार तो लिस्टें भी बाद में बदल जाती है।
बहन जी के खासमखास संदीप नेहरा की टिकट पक्की मानी जा रही थी, मगर बड़े साहब ने ओबीसी का पेंच फंसा दिया। पत्रकारिता से राजनीति में कूदे कम्बोज साहब तो बड़े साहब के पैनल में बने हुए हैै, मगर बहन जी मान ही नही रही।
पिछली बार सभी को बाईपास कर सीधा हाईकमान से टिकट ले आए युवा नेता इस बार भी पुरजोर लगाए हुए है, मगर जमानत जब्त आड़े आ रही है।
वैसे ये नेता जी न बड़े साहब को कुछ समझते है और न ही बहन जी को। इसलिए जरूरी नहीं कि हर बार दाल गल जाए।
बिरादरी के अच्छे खासे वोटों का हवाला देकर पिछले 15 वर्षो से टिकट मिलने के प्रयास में लगे विशाल वर्मा ने इस बार अच्छा खासा पैसा खर्च किया और कड़ी मेहनत की है। पत्नी को भी प्रचार में झोंक रखा है।
सीट ओबीसी के खाते में जाने की चर्चा से नेता जी को इस बार कुछ ज्यादा ही उम्मीद बनी, लेकिन कल रात से नेताजी भी ठंडे पड़ गए है। खैर डाक्टर साहब और कथित प्रधान जी खर्चा-वर्चा कर पहले ही घर बैठ गए है।
कस्वां खाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष जसवंत कस्वां को बड़े साहब से बहुत उम्मीद है। गुरनाम झब्बर किसान आंदोलन का लाभ लेने की कोशिश में जुटे है।
बार-बार पलटी मार अब कांग्रेस में पहुंचे पूर्व विधायक कृष्ण कंबोज को अपने गुरू जी से बड़ी उम्मीद है। रानियां हलके से कांग्रेस की टिकट के लिए 28 आवेदन हुए थे। खैर दो तिहाई ने तो किसी लॉटरी की उम्मीद में अपना भाग्य आजमाया है।
साफ बात है कि जब तक लिस्ट नहीं आती कयास तो लगते ही रहेंगें। आजकल तो हर कोई सूत्र से मिली जानकारी का हवाला दे रहा है, मगर सूत्र से मिलने वाली जानकारियों से आमजन का भरोसा उठ गया है।