सिरसा। हरियाणा के सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम को विधानसभा चुनावों से ठीक पहले मिली पैरोल को राजनीति से जोड़ कर देखा जा रहा है।
लोगों में अब इस बात का आम चर्चा हो गई है कि डेरा प्रमुख के जेल से बाहर आने से किस पार्टी को या किस कैंडिडेट को लाभ या नुकसान हो सकता है।
वैसे तो डेरा प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम को जब-जब भी पैरोल मिली तो चर्चाएं जरूर हुई। क्योंकि डेरा के श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में है। ऐसे में अब चुनाव से ठीक पहले जेल से बाहर आना चुनावी माहौल को प्रभावित करने की भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
डेरा सच्चा सौदा की राजनीतिक विंग भी बनी हुई है। कहने को तो राजनीतिक विंग ही राजनीति से संबंधित फैसले लेती है पर कहीं न कहीं इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यह विंग डेरा प्रमुख की इशारों के बिना फैसला ले ले।
अब बात यह है कि किस पार्टी को समर्थन दिया जा सकता है। यह तो चुनाव के दिन पांच अक्टूबर को ही मैजेस के तहत डेरा श्रद्धालुओं को सूचित किए जाने की संभावना है या फिर चार की रात को भी हो सकता है।
डेरा की राजनीतिक विंग ने अभी तक इस बारे में पत्ते नहीं खोले हैं। वैसे अब तक जो होता रहा उसके आधार पर कहा जा सकता है कि सीट वाइज कैंडिडेटों के अनुसार डेरा का इशारा होगा।
इस के तहत ज्यादा सीटों पर बीजेपी को इशारा हो सकता है क्योंकि सत्ता में बीजेपी है और डेरा प्रमुख को जेल से बाहर लाने में सरकार की बड़ी भूमिका होती है। अगर सरकार न चाहे तो चुनावी समर में पैरोल देने में अड़ंगा लगा सकती है।