साफ बात

घोषणा अब मगर पटकथा पहले ही तैयार थी

हुड्डा की पटकनी से सैलजा समर्थक मायूस
12 सितंबर 2024
हुड्डा ने टिकट वितरण के मामले में सैलजा को चारो खाने चित कर दिया है। सैलजा अपने संसदीय क्षेत्र में भी किसी चेहते को टिकट दिलाने में सफल नहीं हो पाई।

सैलजा समर्थक मुंह देखते रह गए। राजनीति में शह-मात का खेल चलता रहता है। वर्ष 2004 के चुनाव में भजन लाल को भी टिकट वितरण में फ्री हैंड मिला था,

मगर चुनाव परिणाम के बाद सैलजा और हुड्डा ने मिलकर भजन लाल को पटकनी दे दी। हालांकि सत्ता में आने के छह माह बाद ही हुड्डा ने सैलजा को किनारे करना शुरू कर दिया था। इतिहास कभी न कभी दोहराता तो है ही।

इनेलो-बसपा और हलोपा में समझौते की घोषणा तो आज हुई है, मगर इसकी पटकथा पहले ही दिल्ली में लिखी जा चुकी थी। अभी तक तो सब कुछ दिल्ली बैठे राजनीति के चाणक्य की योजना अनुसार चल रहा है।

विपरीत परिस्थिति में भाजपा अवसर तलाश रही है। जाट नेता वीरेन्द्र सिंह दूर हुए तो भाजपा किरण चौधरी को अपने पाले में ले आई।

नींबू में रस न देख भाजपा ने दुष्यंत चौटाला और रणजीत सिंह को दूर किया तो अंदर खाते अभय सिंह को पक्ष में लाने की योजना पर काम शुरू हो गया।

कांडा बंधुओ के पर तो काट दिए, मगर अंदर खाते साथ भी नहीं छोडा है। स्पष्ट बहुमत न आने पर इसे पहले की तैयारी माना जा रहा है, मगर परिणाम के बाद कौन कहां पलटी मारता है यह तो भविष्य के गर्भ में है।

राजनीति के जानकारों का कहना है कि सिरसा जिला चौधरी देवीलाल के अनुयायियों का गढ़ रहा है। भाजपा ने कांग्रेस को रोकने के लिए खुद की मजबूत स्थिती न देख इनेलो को सेफ रास्ता दे दिया है।

हर किसी के अपने-अपने कयास हैं। चुनावी बिसात अभी पुरी तरह बिछी नहीं है। जैसे-जैसे प्रचार जोर पकड़ेगा हर उम्मीदवार अपने घोड़े दोड़ाएगा। राजनीति में कब क्या हो, कोई भी पूर्वानुमान नहीं लगा सकता।

साफ बात है कि सिरसा से टिकट के इच्छुक वीरभान मेहता एक सुलझे हुए इन्सान है। चर्चाओं पर विराम लगाते हुए आज उन्होंने अपने समर्थकों के बीच स्पष्ट किया है कि कांग्रेस में ही रहेगें

और सैलजा का साथ नहीं छोड़ेंग। उधर तेजी से बदले ताजा समीकरणों को देख चर्चा है कि ऐलनाबाद और रानियां सीट पर इनेलो मजबूत स्थिति में पहुंच गई है।

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