कांडा के लिए मुश्किल होती राह

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गांवों में नहीं घुसने दे रहे लोग

कहा पांच साल गांवों में आए नहीं तो अब वोट नहीं

सिरसा। सिरसा विधानसभा से चुनाव जीतने के बाद गोपाल कांडा अपने क्षेत्र के अधिकतर गांवों में एक बार भी नहीं गए। इसके अलावा बीजेपी को समर्थन देने से भी लोग गोपाल कांडा से काफी नाराज है।

अब विधानसभा चुनावों के प्रचार के लिए जब गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा ने गांवों में जाना चाहा तो कई गांवों में कांडा का जमकर विरोध हुआ और गांवों में घुसने नहीं दिया।

स्थिति ऐसी ही बरकरार रही तो इस बार कांडा के लिए विधानसभा में पहुुंचने की डगर काफी कठिन हो जाएगी।

दरअसल कांडा बंधुओं के खिलाफ खासकर ग्रामीण क्षेत्र में विरोध का महौल तभी बनने लग गया था जब उन्होंने बीजेपी का समर्थन किया।

क्योंकि मतदाताओं ने बीजेपी के खिलाफ मतदान करके उनको चुनाव में जीतवाया था। इसके बाद जब किसान आंदोलन हुआ तो लोगों की नाराजगी और ज्यादा बढ़ गई।

बात यहीं तक सिमित नहीं रही क्योंकि लोगों की नाराजगी का एक कारण यह भी बन गया कि चुनाव जीतने के बाद गोपाल कांडा अपने क्षेत्र के अधिकतर गांवों में धन्यावादी दौरा करने तक नहीं गए।

तमाम समीकरण बनने के बाद गांवों में माहौल कांडा बंधुओं के खिलाफ बन गया है। अब कांडा बंधुओं के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती तो गांवों में घुसने की होगी।

इसके बाद वोट हासिल कर पाना दूसरी बड़ी चुनौती रहेगी। लोगों का कहना है कि विकास कार्य करवाना तो दूर की बात हमारे विधायक हमारे बीच आए ही नहीं।

हम अपनी समस्याएं किस को बताएं? स्थिति बीजेपी की भी गांवों में ऐसी ही बनी हुई है। किसान वर्ग व किसानों के सहयोगी लोगों का कहना है कि अब हम ऐसे नेताओं को गांव में घुसने नहीं देंगे।

लोगों के गुस्से का लाभ किस नेता को मिलेगा यह तो आने वाला वक्त बताएगा पर फिलहाल कांडा बंधुओं व बीजेपी के नेताओं के लिए प्रचार करने के लिए गांवों में जाना भी एक चुनौती बन गई है।

इसके अलावा कांडा बंधुओं द्वारा इस बार दो और सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे जाने के संकेत दिए जा रहे है। स्थिति बाकी के दो हलकों में भी ऐसी ही होगी इस बात की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

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