ब तक हुए लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा बार सिरसा से जीती है कांग्रेस
सिरसा, 4 जून। कांग्रेस ने अपने सिरसा के गढ़ में एक बार फिर जोरदार एंट्री कर ली है। जी हां सिरसा लोकसभा सीट से कांग्रेस की कुमारी सैलजा ने बीजेपी के प्रत्याशी डॉ. अशोक तंवर को पराजित कर संसद की चौखट तक पहुंचने का रास्ता साफ कर लिया है।
कुमारी सैलजा सिरसा से तीसरी बार सांसद बनी है। इससे पहले कुमारी सैलजा के पिता चौ. दलबीर सिंह से सिरसा लोकसभा से चार बार सांसद बन चुके है। कुल 15 बार हुए आम चुनावों में सिरसा लोकसभा से कांग्रेस ने नौ बार जीत हासिल की है।
कुमारी सैलजा की बड़ी जीत से गदगद कार्यकर्ताओं ने खुशियां मनानी शुरू कर दी है। सिरसा संसदीय क्षेत्र से कुमारी सैलजा का दो पीढियों का रिश्ता जहां उनको जीत की ओर ले गया वहीं किसानों का भाजपा के प्रति रोष भी कुमारी सैलजा के जीत का एक कारण रहा।
हरियाणा के बनने से पहले सिरसा-फाजल्किा था इस सीट का नाम
सिरसा लोकसभा सीट पर साल 1967 से लेकर 2024 तक 15 आम चुनाव हुए हैं जबकि 1988 में एक उपचुनाव हुआ। सिरसा की सियासत का मिजाज अनूठा रहा है।
अतीत के पन्नों में कई ऐसे रोचक किस्से-कहानियां एवं तथ्य हैं, जो जानकर हैरानी होती है। हरियाणा गठन से पहले यह संसदीय क्षेत्र संयुक्त पंजाब का हिस्सा था।
देश आजाद होने के बाद साल 1951 में जब यहां पहले संसदीय चुनाव हुए तो यह संसदीय क्षेत्र पंजाब के फाजिल्का तक फैला था और इस सीट का नाम था फाजिल्का-सिरसा।
पहले चुनाव में यहां से कांग्रेस के आत्मा सिंह ने 75 हजार 412 वोट हासिल करते हुए शिरोमणि अकाली दल के गुरराज सिंह को हराया था। आत्मा सिंह यहां से पहले सांसद बने।
दरअसल सिरसा संसदीय क्षेत्र से कई रोचक किस्से जुड़े हैं। यहां साल 1952 में उपचुनाव हुआ। उस उपचुनाव में कांग्रेस के इकबाल सिंह ने 48812 मत हासिल करते हुए जीत हासिल की।
इसके बाद साल 1988 में तत्कालीन सांसद दलबीर सिंह के निधन के बाद उपचुनाव हुआ। कांग्रेस ने दलबीर सिंह की बेटी कुमारी सैलजा को मैदान में उतारा।
पिता के निधन के बाद बेटी को मैदान में उतार कर कांग्रेस सहानुभूति बटोरना चाहती थी। लेकिन उस वक्त जनता दल की लहर थी। इस लहर में जनता दल के हेतराम ने करीब 3 लाख 442 वोट हासिल करते हुए कुमारी सैलजा को करीब सवा लाख वोटों से पराजित किया।
इससे इत्तर देखें तो हरियाणा गठन से पहले साल 1951, 1957 एवं 1962 में हुए सामान्य चुनावों में भी इस संसदीय क्षेत्र का स्वरूप बदलता रहा है। 1951 में फाजिल्का-सिरसा सीट थी।
1957 के चुनाव में यह हिसार सीट के रूप में अस्तित्व में रही और उस चुनाव में ठाकर दास भार्गव ने जीत हासिल की। इसके बाद 1962 में हुए मनीराम बागड़ी ने जीत हासिल की।
हरियाणा गठन के बाद 1967 में सिरसा सीट वजूद में आई और चौ. दलबीर सिंह यहां से सांसद बने।
हरियाणा बनते हुए चौ. दलबीर सिंह बने थे सिरसा से सांसद
अब तक सिरसा सीट पर 15 आम जबकि 1 उपचुनाव हुए है। जिसमें कांग्रेस 9 बार, लोकदल 6 बार एवं 1 बार भाजपा को जीत मिली है।
1967, 1971, 1980 और 1984 में कांग्रेस से चौ. दलबीर सिंह, 1991 और 1996 में कांग्रेस से कुमारी सैलजा,2004 में कांग्रेस से आत्मा सिंह गिल व 2009 में डॉ. अशोक तंवर और अब 2024 में कांग्रेस की कुमारी सैलजा सांसद निर्वाचित हुई है।
इसी तरह से 1977 में जनता पार्टी से चौधरी चांदराम, 1988 और 1989 में लोकदल से हेतराम, 1998 और 1999 में इनैलो से डॉ. सुशील इंदौरा, 2014 में इनैलो की टिकट पर चरणजीत रोड़ी एवं 2019 में भाजपा से सुनीता दुग्गल सांसद निर्वाचित हुईं।