जब से ऐलनबाद हलका बना है तब से ही इस सीट पर चौटाला परिवार का दबदबा बरकरार

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चौटाला के गढ़ को नहीं भेद पाई बीजेपी, 2021, 2019 व 2014 के चुनावों में बीजेपी रही दूसरे

नंबर पर

सिरसा। ऐलनाबाद हलका हरियाणा गठन के बाद 1967 में अस्तित्व में

आया। तब से लेकर अब तक ज्यादा बार चौटाला परिवार या चौटाला की पार्टी के प्रत्याशियों को ही

जीत प्राप्त हुई है। बीजेपी का वोट बैंक 2014, 2019 व 2021 के उप चुनाव में ही देखने को मिला

है। इससे पहले बीजेपी का वोट बैंक दो प्रतिशत तक ही सिमट कर रहा हुआ है। अंतिम तीन चुनावों

में बीजेपी के बढ़े वोट बैंक से उत्साहित पार्टी चौटाला के इस गढ़ में सेंध लगाने की रणनीति बनाने

की जुगत में है।
क्या इस बार बीजेपी चौटाला के गढ़ को भेद पाएगी? इसके लिए बीजेपी को सबसे पहले से मजबूत

कैंडिडेट की जरूरत है, जो फिलहाल बीजेपी के पास दिखाई नहीं दे रहा। बीजेपी के लिए फ्रैशर कै

ंडिडेट के सहारे सीट जीतना कड़ी चुनौती ही होगा। बात अगर कांग्रेस करें तो कांग्रेस के पास

ऐलनाबाद हलका में एक दर्जन टिकटार्थी लाइन में हैं, पर सवाल यह उठता है कि कांगे्रेस धड़ेबाजी से

ऊपर उठकर चौटाला के गढ़ को भेदने की क्षमता वाले कैंडिडेट की जीजान से मदद करेंगे? अगर

ऐसा करते हैं तो कांग्रेस जीत के सपने ले सकती है। कांग्रेस के पास भरत सिंह बैनीवाल ऐसे कैंडिडेट

हैं जिन्होंने 2005 में (उस समय दड़बा हलका) से इनेलो के प्रत्याशी को हराया था। देखना यह है

कि अब कांग्रेस भरत सिंह दांव खेलती है या फिर पवन बैनीवाल, संतोष बैनीवाल, राजेश चाडीवाल

या फिर किसी अन्य पर।

बीजेपी में मिनू बैनीवाल व भाजपा की जिलाध्यक्ष निताशा राकेश सिहाग के अलावा पूर्व जिलाध्यक्ष

अमीर चंद मेहता भी टिकट की लाइन में हैं। जबकि इनेलो की तरफ से लगभग स्वयं अभय चौटाला

का ही ऐलनाबाद से चुनाव लड़ तय माना जा रहा है। जेजेपी के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं है जो इस

हलके में टक्कर दे सके। गत चुनावों में जेजेपी की तरफ से ओपी सिहाग ने चुनाव लड़ा था।

दरअसल ऐलनाबाद हलके के काफी गांव ऐसे हैं जहां चौ. देवीलाल ने वर्कर खड़े किए थे। भले ही

अब उन परिवारों की तीसरी पीढ़ी वोट देने के फैसले कर रही है पर चौ. देवीलाल परिवार के साथ

वर्षों से उनके जुड़ाव के चलते वे चौटाला परिवार के साथ आज भी दिल से जुड़े हुए है। यही बजह है

कि ऐलनाबाद से कांग्रेस की सरकार में व बीजेपी की सरकार में इनेलो के अभय सिंह चौटाला ने दो

उप चुनाव भी ऐसी स्थिति में जीते जब पूरी सरकार उनको हराने में जुटी हुई थी। चूंकी लोगों के

चौटाला परिवार से सीधे संबंध है इस लिए वे चुनावों में इस परिवार के प्रत्याशी के साथ मजबूती से

खड़े हो जाते है। हालांकि कांग्रेस का भी वोट बैंक ऐलनाबाद में अच्छा खासा रहा है पर कांग्रेस को

ज्यादा बार पराजय का मुंह ही देखना पड़ा है। इस बार तिकौनी टक्कर भी होने की संभावना से इनक

ार नहीं किया जा सकता क्योंकि अब बीजेपी का वोट बैंक में ऐलनाबाद हलका में उबर कर सामने

आया है। फिलहाल प्रत्याशियों के मैदान में उतरने का इंतजार है, जब सभी पार्टियों के प्रत्याशी मैदान

में उतर जाएंगे तब चुनावी माहौल बनेगा और तभी ऐलनाबाद हलके मतदाताओं के मूड का पता चल

पाएगा। क्योंकि राजनीति में असंभव किसी भी परिस्थिति को नहीं माना जाता। हर चुनाव का अपना

सिनोरियो बनता है।

ऐलनाबाद में अब तक बने विधायकों का विवरण इस प्रकार है
1967 में प्रताप चौटाला (कांग्रेस), 1968 में लाल चंद खोढ (विशाल हरियाणा पार्टी), 1972 में

बृजलाल (कांग्रेस), 1977 में भागी राम (जनता पार्टी), 1982 व 1987 में भागीराम (लोकदल),

1991 में मनीराम केहरवाला (कांग्रेस), 1996 व 2000 में भागी राम (समता पार्टी), 2005 में

डॉ. सुशील इंदोरा (इनेलो), 2009 में चौ. ओमप्रकाश चौटाला (इनेलो), 2010 उप चुनाव में

अभय सिंह चौटाला (इनेलो), 2014 में अभय सिंह चौटाला (इनेलो), 2019 में अभय चौटाला

(इनेलो), 2021 उप चुनाव में अभय चौटाला (इनेलो) विधायक बने।

दड़बा हलका से बने पांच विधायक
1987 में दड़बा हलका अस्तित्व में आया और 2005 तक इस हलके में पांच चुनाव हुए। जिसमें

चार बार चौटाला परिवार की तरफ से मैदान में उतारे गए प्रत्याशी जीते। वर्ष 1987 में विद्या बैनीवाल

(इनेलो), 1991 में मनीराम (इनेलो), 1996 में विद्या बैनीवाल (इनेलो), 2000 में विद्या

बैनीवाल (इनेलो) व 2005 में कांग्रेस के भरत सिंह बैनीवाल ने इनेलो के किले को भेदा और वे

विधायक बने।

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