1967 से अब तक एक हजार पुरुष बने विधायक, तो महिलाएं महज 74 ही पहुंची विधानसभा

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सिरसा, 15 जुलाई। संयुक्त पंजाब से विभाजित होकर 1966 में हरियाणा अस्तित्व में आया। उसके बाद 1968 से अब तक विधानसभा चुनावों में करीब एक हजार पुरुष विधायक बन चुके हैं, लेकिन महिलाओं की बात करें तो अब तक केवल 74 महिलाएं ही विधानसभा की चौखट तक पहुंच पाईं हैं।

जनसंख्या में आधी आबादी पर राजनीति में साढ़े सात प्रतिशत हिस्सेदारी। यह कहीं न कहीं पुरुष प्रधान समाज की मनौपली ही दर्शाता है। वर्ष 2005 व 2014 के विधानसभा चुनावों को छोड़ दें तो महिला विधायकों का आंकड़ा कभी दहाई को भी नहीं छू सका।

जैसे जैसे समाज में शिक्षा का उजियारा बढ़ता जा रहा है और लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठ रहा है वैसे वैसे हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है।

आधी आबादी की राजनीति में भी भागीदारी सुनिश्चित हो इसके लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम दो साल बाद लागू हो जाएगा। उसके बाद 33 प्रतिशत महिलाएं विधानसभा की चौखट तक पहुंचेंगी और राजनीति में एक नया परिवर्तन आ सकता है।

क्योंकि महिलाएं आज के जमाने में जब किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पिछे नहीं रही तो राजनीति में भी उनकी संख्या बनते अनुपात में होनी चाहिए। जब राजनीति में महिलाओं का दखल बढ़ेगा तो कुछ बदलाव हो सकते हैं।

क्योंकि जिस भी क्षेत्र में महिलाओं ने कमान संभाली है उसके सुखद परिणाम देखने को मिले हैं।

दरअसल हरियाणा के गठन के बाद 1967 में जब हरियाणा का पहला विधानसभा चुनाव हुआ तो उस वक्त 81 सीटें थी जिसमें से चार महिलाएं विधायक बनीं। उसके बाद 1972 में भी चार महिलाएं विधान बनीं।

फिर 1977 में विधानसभा की 90 सीटें हो गई पर विधायक बनने वाली महिलाओं की इस बार भी चार ही रही। इसी प्रकार 1982 में 7, 1987 में 5, 1991 में 4, 1996 में 3, 2000 में 4, 2005 में 10, 2009 में 9, 2014 में 12 व 2019 में 8 महिलाएं विधानसभा की चौखट तक पहुंचने में सफल रही।

नारी शक्ति वंदन अधिनियम का 2029 के चुनावों में महिलाओं को मिलेगा लाभ

बेशक नारी शक्ति वंदन अधिनियम-2023 को लागू होने में अभी दो साल और लगेंगे। नए परिसिमन के बाद 2026 में यह अधिनियम लागू हो जाएगा।

उस के बाद 33 प्रतिशत सीटों पर महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित होगी। हरियाणा में विधानसभा चुनाव इसी साल है, नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू नहीं हुआ पर फिर भी राजनीति में एक्टिव महिलाएं टिकट की दावेदारी ठोक रही हैं।

विभिन्न पार्टियों में एक्टिव महिला नेत्रियां नारी शक्ति वंदन अधिनियम के तहत मिलने वाले आरक्षण का लाभ लेने के लिए अभी से तैयारियों में जुट गई हैं ताकि 2029 तक वे अपनी-अपनी पार्टियों में अपनी वरिष्ठता का दावा कर टिकट मांग सकें।

महिलाओं को चुनाव लड़ाने से राजनीति घराने करते थे गुरेज

हरियाणा में चौ. देवीलाल, चौ. बंसी लाल व चौ. भजन लाल परिवार की राजनीति में जो तूती बोलती रही वो किसी से छिपी नहीं हैं। पर पहले इन घरानों की महिलाओं को भी चुनावी मैदान में उतारने से गुरेज किया जाता था।

पर बाद में वक्त के बदलाव के साथ-साथ इन घरानों ने भी अपने परिवार की महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारा। चौ. भजन लाल परिवार की बात करें तो चौ. भजन लाल की पत्नी जसमा देवी विधायक रह चुकी है।

इसी प्रकार उनकी पुत्रवधू रेणुका बिश्नोई भी विधायक रह चुकी है। चौ. बंसी लाल के परिवार में से उनकी पुत्रवधू किरण चौधरी विधायक व पौत्री श्रुति चौधरी सांसद रह चुकी है। किरण चौधरी मौजूद विधायक भी हैं।

इसी प्रकार चौ. देवीलाल परिवार में से नैना चौटाला दो बार विधायक बनी है। वह अब बाढड़़ा से मौजूदा विधायक है। इस बार लोकसभा चुनावों में चौ. देवीलाल परिवार की नैना चौटाला व सुनैना चौटाला ने भी हिसार से लोकसभा का चुनाव लड़ा।

ये दोनों नेत्रियां चौ. देवीलाल की पौत्रवधू हैं। इसी तरह एक बार चौ. देवीलाल की पौत्रवधू कांता चौटाला ने जिला परिषद का चुनाव भी लड़ा था पर वे हार गई थी।

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