चंडीगढ, 23 अपैल। हरियाणा के रानियां विधानसभा से निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह अपने इस्तीफे के सत्यापन के लिए मंगलवार को विधानसभा में पेश नहीं हुए। इस्तीफे के सत्यापन मसले में विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से 23 अप्रैल को बुलाया था। अब उन्हें 30 अप्रैल को फिर से इस मसले में बुलाया गया है।
ज्ञान चंद गुप्ता के अनुसार कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने 24 मार्च को विधानसभा से अपना इस्तीफा खुद न देकर किसी अन्य माध्यम से भेजा था। इसके स्पष्टीकरण के लिए उन्हें 23 अप्रैल व्यक्तिगत रूप से बुलाया गया था। इस बारे में उन्होंने फोन के माध्यम से बताया है कि मैं आज व्यक्तिगत कारणों से नहीं आ सकता।
इसलिए अब उन्हें 30 अप्रैल को दोबारा बुलाया है।
रणजीत चौटाला मार्च माह में भाजपा में शामिल हुए थे। उसके तुरंत बाद भाजपा ने उन्हें हिसार लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया था। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और कानूनी विश्लेषक हेमंत कुमार ने बताया कि विधानसभा स्पीकर द्वारा रणजीत चौटाला का विधानसभा सदस्यता से त्यागपत्र अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है।
अगर उन्हें दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत सदन की अयोग्यता से बचाना है, तो स्पीकर को रणजीत का विधायक पद त्यागपत्र 24 मार्च की पिछली तिथि से ही स्वीकार करना होगा।
हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने रणजीत चौटाला के त्यागपत्र को लेकर दिए एक बयान में कहा था कि रणजीत सिंह चौटाला को 23 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा गया है।
क्योंकि बतौर विधानसभा अध्यक्ष यह मेरी जिम्मेदारी है कि यदि कोई सदस्य विधानसभा से इस्तीफा देता है, तो यह सत्यापित करना हमारा काम है कि इस्तीफा किसी दबाव या मजबूरी में नहीं भेजा गया है।
स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा, एक बार वह व्यक्तिगत रूप से सामने आएंगे, तो ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी और इसके बाद कोई फैसला लिया जाएगा। अगर हम संतुष्ट होते हैं तो रणजीत सिंह का त्यागपत्र उसी दिन स्वीकार किया जा सकता हैं जिस दिन उन्हें विधानसभा से त्यागपत्र दिया था।
बता दें कि गत 12 मार्च को जब भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया था तो रणजीत चौटाला फिर से सैनी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार में बिजली मंत्री बन गए थे।