सिरसा। अभी उम्मीदवार घोषित भी नहीं हुए हैं, मगर नेताजी पहले ही ठंडे पड़ गए हैं । अपने क्षेत्र को छोड़ रानियां हलके में नेताजी ने कुछ खबरियों के दम पर कई दिन खूब उछल-कूद की।
खुद को प्रधान बताने वाले नेता जी ने रानियां क्षेत्र के गांवों में चक्कर काटते समय काहे का प्रधान, यह तो नहीं बताते हैं, मगर टिकट पक्की यह दावा जरूर करते थे।
अब टिकट मिलने का समय आया तो हलके से गायब है। बताया जाता है कि नेताजी का पैनल में नाम ही नहीं मायूस नेताजी घर बैठ अगली प्लानिंग में जुटे हैं कि पार्टी जिसे भी टिकट देगी उसके साथ चिपक जाएंगे।
पांच साल पहले नेता जी ने अचानक इन्ट्री मारी थी और बहन जी की खूब चमचागिरी कर और कुछ खबरियों की खुशामद कर चर्चा में बने।
पिछले चुनाव में भी टिकट की दावोदारी ठोकी, मगर हाथ खाली रहे। पांच साल तक शासन, प्रशासन और पार्टी में किसी ने नहीं पूछा और बहन जी की भी टिकट कट गई
और नेता जी पलटी मार दूसरी बहन जी के पीछे चक्कर काटने लग गए। कुछ दिन हलके में खूब हल्ला किया।
साफ बात है कि पांच-सात चेलों के साथ घूमने और चंद पैसों के दम पर खबरों में बने रहने से बड़ी पार्टी का टिकट काहे को मिलना था
यह तो नेता जी भी जानते है लेकिन धंधे में बने रहने के लिए कथित समाज सेवा का चोला ओढना और राजनीतिज्ञों के खासमखास होने का दिखावा करना नेता जी की मजबूरी है।
खुद के शहर में सभी को पता है कि नेता कितने पानी में है। इसलिए दूसरे हलके में जाकर राजनीति करते दिखना भी मजबूरी है।